वीर बाला चम्पा :- महाराणा प्रताप की पुत्री

 भारत इतिहास में कई वीरांगनाएं हुई है , भारत की धरा वीरो और विरांगनाओं की धरा है । आज मै आपको ऐसी वीर बालिका से आपका परिचय कराऊंगा जिसके बारे मे जानकर आपकी आँखों मे आँसू आ जायेंगे । जिसने अपने  प्राणो का बलिदान देकर अपने पिता का दुश्मन से किसी भी परिस्थिति मे समझौता न् करने के लिए प्रेरित किया । यह वीर बालिका कोई और नही बल्कि मेवाड रत्न हिन्दू हृदय सम्राट महाराणा प्रताप की पुत्री है , जिसका नाम है चम्पा । 

महाराणा प्रताप ने लंबे समय तक अकबर का सामना किया , अपनी मातृभूमि को कभी अकबर के अधीन नहीं होने दिया ।अकबर से संघर्ष के समय महाराणा प्रताप को जंगलों मे रहना पडता था साथ मे उनका परिवार भी जंगलों मे ही रहता था । वे सभी घांस पूस कि रोटी खाते थे ,जो भी एक दो दिन मे मिलती थी । महाराणा प्रताप के साथ उनकी एक पुत्री थी जिसका नाम चम्पा था और उसकी उम्र 11 वर्ष थी और पुत्र जो अभी 4 वर्ष का हि था। एक दिन राजकुमार को भूख लगी तो वह भूख के कारण रोने लगे , अब उस 4 वर्ष के बालक को क्या पता की उसका परिवार किस दौर से गुजर रहा है , लेकिन चम्पा स्थिति को समझती थी उम्र कम थी लेकिन चम्पा बहुत समझदार थी।

वह जानती थी कि अभी रोटी नहीं होगी तो उसने राजकुमार को कहानी सुना कर खेल खिला कर उनके ध्यान को परिवर्तित कर सुला दिया , फिर वह राजकुमार को लेकर अपनी माँ के पास गई और राजकुमार को माँ को दिया । तभी उसने देखा कि महाराणा प्रताप उदास बैठे हुये है तो चम्पा ने अपने पिता से उदासी का कारण पूछा , कारण पूछने पर महाराणा ने बताया कि बेटा देखो आज हमारे घर अतिथि आया है और  खाने को कुछ भी नहीं आज महाराणा के घर से कोई भूखा जाएगा यह सोचकर मै दुःखी हूँ । तब चम्पा ने अपने पिता से कहा कि आप उदास मत होइये हमारे यहाँ से अतिथि भूखा नहीं जाएगा ,मैंने कुछ रोटियां बचाकर रखी है ,मै अभी लाकर देती हूँ। 

चम्पा अपनी रोटी मे से कुछ रोटी बचाकर रखती थी ताकि वह उन रोटी को बाद में जब राजकुमार को भूख लगे तो दे दे वह हमेशा कम रोटी खाती थी कई बार रोटी खाती ही नहीं थी इसलिए वह बहुत कमज़ोर हो गई थी।

महाराणा प्रताप से इतना कहकर चम्पा गई और पत्थर के नीचे से रोटी लाकर अपने पिता को दे दी , महाराणा ने उस वक्त चम्पा से कुछ नहीं कहा और रोटी ले ली एवम् कुछ मिर्च लेकर रोटी अतिथि को दे दी इस प्रकार महाराणा के दरबार सेमइस स्तिथी मे भी कोई भूखा नहीं गया। 

महाराणा प्रताप ने बाद मे अपनी पुत्री से पूछा कि वह रोटी कहा से लाई थी तो चम्पा ने बताया कि वह हमेशा अपनी रोटी मे से बचाकर रखती है । महाराणा प्रताप को यह सुनकर बहुत दुःख हुआ , महाराणा खुद कितनी हि मुसीबत झेल सकते थे लेकिन अपने परिवार को दुःखी देख महाराणा प्रताप टूट गये और उन्होंने अकबर से सन्धि करने को सोचा ।

इस खबर कि जानकारी जब चम्पा को मिली तो वह अपने पिता के पास गई लेकिन इससे पहले वह कुछ कहती कमजोरी के कारण मुर्छित हो गयी , महाराणा प्रताप ने उसे उठाया और अपनी गोद मे लिटाया चम्पा को कुछ होश आया तो वह अपने पिता से कहने लगी कि आप ये क्या कर रहे है उस अकबर से सन्धि करने जा रहे है जिसने लोगों पर कई अत्याचार किये है अपनी मातृभूमि को उसके अधीन करना चाहते है किसलिए । तो महाराणा प्रताप ने कहा में तुम लोगों को दुःखी नहीं देख सकता । इस पर चम्पा ने कहा पिता जी एक दिन तो सबको मरना है मै आपको किसी के सामने झुकता हुआ नहीं देख सकती आपको मेरी कसम है आप कभी अकबर के सामने मत झुकना उससे कभी सन्धि मत करना । इतना कहते ही चम्पा सदा सदा के  लिए सौ गई । 

अपनी पुत्री के बलिदान ने महाराणा प्रताप मे पुनः अकबर से लड़ने कि प्रेरणा प्रदान की । महाराणा प्रताप ने ठान लिया कि वह अकबर को मेवाड कभी नहीं जितने देंगे । कहते है जब व्याकुल हो होकर महाराणा ने अकबर को अधिनता वाला पत्र लिखा था , यह पत्र जब अकबर की सभा मे पढा गया तो किसी को विश्वास नहीं हुआ , सभा मे उपस्थित महाराज पृथ्वी राज ने इस पत्र का खंडन किया था , और बाद मे महाराणा प्रताप को पत्र लिख कर कहा भी था कि महाराणा आप ये क्या कर रहे अकबर से सन्धि करने जा रहे है आप उससे सन्धि न करें । महाराणा प्रताप ने पत्र के जबाब मे महाराजा पृथ्वी राज को कहा था कि आप निश्चिन्त रहिये  मै  कभी अकबर के सामने नहीं झुकूंगा उससे मेरा युद्ध चलता रहेगा मै अपनी मातृभूमि कि स्वाधीनता के लिए अंतिम समय तक अकबर के सामने खड़ा रहूँगा ।

इस प्रकार   चम्पा ने अपने बलिदान से महाराणा प्रताप मे ऊर्जा का सन्चार किया । धन्य है मेवाड़ की धरा और धन्य भारत जहां ऐसे लोगों का जन्म हुआ जिन्होंने राष्ट्र को सबसे आगे रखा ।

किंतु हमारे लिए कितनी दुखद बात है कि हम ऐसे महान व्यक्तित्व को भुला चुके है जिन्होंने राष्ट्र के लिए स्वयम को बलिदान कर दिया ।  हमें याद रखना चाहिए वीर बाला चम्पा के बलिदान को मातृभूमि के लिए किये गये उसके त्याग को , उनकी कहानी सुनानी चाहिए हमारे बच्चों को , राष्ट्र नायकों के सम्मान द्वारा ही हम देश का सम्मान कर सकते है ।

हमारा देश विश्व के सभी देशों मे अग्रणी है क्योंकि यहाँ ऐसे लोग हुए है जिन्होंने निस्वार्थ भाव से राष्ट्र के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया है। 

वीर बाला चम्पा ने अपनी अल्पआयु मे कितने कष्ट सहे लेकिन वह कभी टूटी नहीं , कभी उनकी आँखों मे आंसू नहीं आये , उन्होंने अपने पिता को अकबर से लड़ने के लिए प्रेरित किया । वीर बाला चम्पा सचमुच भारत के लिए एक वरदान थी । ऐसे वीर बाला को हम भारतवासी बारम्बार प्रणाम करते हैं और उनकी राष्ट्र भक्ति कि सराहना करते हैं ।

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