महाराणा प्रताप सिंह : भारत की शान ,हिंदू हृदय सम्राट, हिंदुआ सूरज, मेवाड़ मुकुट

महाराणा प्रताप सिंह
महाराणा प्रताप उस समय मेवाड़ के राणा थे, जिस समय दिल्ली में अकबर का शासन था।
महाराणा प्रताप का अधिकतर बचपन भीलों के साथ ही गुजरा,भील जनजाति के लोग महाराणा प्रताप को किका कह कर पुकारते थे।
महाराणा प्रताप से मेवाड़ की जनता भी बहुत प्यार करती थी, क्योंकि मेवाड के लोग जानते थे कि कुंवर प्रताप सिंह बहुत बुद्धिमान, साहसी है, और प्रजा हितेषी है उनके नेतृत्व में मेवाड़ सुरक्षित रहेगा।
अब अकबर व महाराणा प्रताप के बारे में बात करते हैं:
महाराणा प्रताप और अकबर की सेना के बीच जितने भी युद्ध हुए उनमें कभी अकबर ने अपनी सेना का नेतृत्व नहीं किया, इससे सप्ष्ट होता है कि अकबर, महाराणा प्रताप के सामने आने से डरता था, और डरे भी क्यों न कहा मजबूत कद काठी के महाराणा और कहा अकबर।
अकबर ने कई बार राणा प्रताप को यह संदेश भीज वाया कि यदि वह अकबर की अधिनता स्वीकार कर लेंगे तो उन्हें आधा हिंदुस्तान दे दिया जायेगा, लेकिन राजपूती शान से परिपूर्ण महाराणा ने कभी अकबर की अधिनता स्वीकार नहीं की, हमेशा अकबर के सामने खड़े रहें।
जब महाराणा प्रताप ने इस संसार को छोड़ा तो इसकी सूचना अकबर को मिली , अकबर का दरबार लगा हुआ था, सभी मंत्री बैठे थे, इस समय एक सैनिक आया और अकबर को बताया कि महाराणा प्रताप अब इस दुनिया में नहीं रहें यह खबर सुनकर कि अब एक महान योद्धा, महाप्रतापी, महापराक्रमी महाराणा प्रताप नहीं रहें, यह सुनकर अकबर की आंखें भी नम हों गई, और जब अकबर की सभा में उपस्थित एक कवि अकबर के सामने जब महाराणा प्रताप की वीरता, महिमा का गान किया तो अकबर इस से बहुत प्रसन्न हुआ और उस कवि को कई ईनाम दिया।

तो ऐसे थे महाराणा प्रताप सिंह जिनके जाने पर अकबर की आंखें भी नम हों गई, उन्होंने घास की रोटी खाई, जंगलों में रहें, अनेकों प्रकार के कष्ट सहे लेकिन कभी अकबर के सामने झुके नहीं।

एक बार जब अमेरिका के राष्ट्र पति अब्राहम लिंकन भारत दौरे पर आ रहे थे तो उन्होंने उनकी मां से कहा कि में भारत जा रहा हूं आपके लिए क्या लेकर आऊंगा? तो उनकी मां ने कहा कि मेरे लिऐ हल्दी घाटी की माटी ले आना, मैं देखना चाहती हूं उस माटी को जिसका बादशाह अपनी प्रजा से इतना प्यार करता था कि उसने अकबर द्वारा दिए गए आधे हिंदुस्तान का राजा बनाने वाले प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया और कभी अकबर के सामने नहीं झुका।


धन्य धन्य धरा मेवाड़ की जहां जन्मे महाराणा प्रताप सिंह

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