लालबहादुर शास्त्री जी के प्रेरणा दायक किस्से

राजपूतों का गौरवशाली इतिहास में आज हम बात करेंगे भारत के गौरव , गुदड़ी के लाल लाल बहादुर शास्त्री जी के आइए जानते हैं उनके जीवन के कुछ किस्से आज हम भारत के पूर्व प्रधान मंत्री और भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री जी के जीवन के कुछ किस्से जानेंगे।
लाल बहादुर शास्त्री सादगी और महानता की प्रतिमा थे। 
जब लाल बहादुर शास्त्री जी छोटे थे तभी उनके पिता जी का बीमारी के कारण निधन हो गया था, l
लाल बहादुर शास्त्री जी के घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी जिसके कारण उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ा, ।
आइए जानते हैं शास्त्री जी की ईमानदारी और देश के प्रति समर्पण भाव से जुड़े किस्से
शास्त्री जी  अपने परिवार को लेकर कपड़े खरीदने गए वह अपनी पत्नी के लिए साड़ी लेने के लिए एक कपड़ा मील में गए, कपड़ा मील के मालिक ने शास्त्री जी को महंगी महंगी साड़ियां दिखाई तो शास्त्री जी ने उनसे कहा कि मैं गरीब आदमी हूं अतः थोड़ी सस्ती साडिया दिखाइए , इस समय शास्त्री जी देश के प्रधानमंत्री के पद पर सुशोभित थे, तो मील मालिक ने कहा कि मैं आपको उपहार में दे रहा हूं रख लीजिए , तब शास्त्री जी ने उनसे कहा कि जो चीज में खरीद नहीं सकता उसे उपहार में भी नही ले सकता, आप हमें सस्ती साड़ियां ही दिखाइए। मिल मालिक ने बहुत कहा लेकिन शास्त्री जी नहीं माने।
तो ऐसे थे शास्त्री जी उन्होंने कभी अपने पद का दुरुपयोग नहीं किया, हमेशा देश के प्रति समर्पण भाव से काम किया।
शास्त्री जी के बेटे ने शास्त्री जी के जीवन  पर एक किताब लिखी है जिसमें वो लिखते हैं कि शास्त्री जी कभी सरकारी साधनों का उपयोग स्वयं के लिए नहीं करते थे, एक बार वे यानी शास्त्री जी के पुत्र गाड़ी स्वयं के कार्य के लिए ले गए तो शास्त्री जी ने जो खर्च हुआ वो सरकार के कोष में जमा किए।
 वर्ष 1964 में जब पाकिस्तान ने युद्ध छेड़ा तब देश की कमान लाल बहादुर शास्त्री जी के ही हाथों में थी, इस समय देश में अकाल भी पड़ा था, ऐसे में तुरन्त निर्णय लेने की आवश्यकता थी, क्योंकि देश को युद्ध से भी निपटना था और अकाल भी पड़ा था तो अर्थव्यस्था को भी संभालना था , ऐसे में शास्त्री जी ने जय जवान जय किसान का नारा देकर देश को एक सूत्र में बांध दिया।
भारतीय सेना ने पाकिस्तान को चारो खाने चित्त कर दिया, और पाकिस्तान को आत्मसमर्पण करना पड़ा।
शास्त्री जी ने देशवासियों से अपील की सभी देशवासी एक वक्त खाना खाए,
स्वयं शास्त्री जी भी एक टाइम भोजन करते थे और उनका परिवार भी।
इस तरह उन्होंने अकाल की परिस्थिति से देश को निकाला।
तो ऐसे थे शास्त्री जी कर्मशील, देश भक्त,

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