महाराणा लाखा : जिनके समय एशिया सबसे बड़ी चांदी की खान की खोज हुई।

राजपूतों का गौरवशाली इतिहास में गाथा महाराणा लाखा की जिनके शासन में मेवाड़ ने अभूतपूर्व प्रगति की महाराणा लाखा सिसौदिया वंश के शासक थे। इनके पिता का नाम राणा क्षेत्र सिंह था। राणा लाखा का एक नाम लक्षसिंह भी था। राणा लाखा के दो पुत्र थे कुंवर चुंडा व राघव देव सिसौदिया।
बाद में इनका एक ओर विवाह जिससे इन्हे एक ओर पुत्र प्राप्त हुआ जिनका नाम था कुंवर मोकल सिंह।

राणा लाखा के समय मेवाड़ आर्थिक रूप से ग्रसित था, तभी  
 जावर में चांदी की खान की खोज हुई, यह चांदी की एशिया की सबसे बड़ी खान है, इस खान में चांदी के अतिरिक्त शीशा व जस्ता भी है। इस खान की खोज ने मेवाड़ को आर्थिक रूप से मजबूत कर दिया।
राणा लाखा के ही शासन काल में उदयपुर में पिछू नामक बंजारे ने पिछोला झील का निर्माण किया, इस समय यह झील एकमात्र पियजल का साधन थी, इस झील का निर्माण बंजारे ने अपने बैल की स्मृति में किया था।
राणा लाखा के समय वेराटगढ के पहाड़ी क्षेत्रों के लुटेरों ने आस पास के क्षेत्रों में लूट पाट मचा रखी थी जिससे वहां की जानता परेशान थी। अतः राणा लाखा ने अपनी सेना द्वारा लुटेरों को वहां से खदेड़ दिया और वेराटगढ़ को पूरी तरह नष्ट कर दिया एवम् राणा लाखा ने बदनौर नगर की स्थापना की।
इस नगर पर दिल्ली के शासक ने आक्रमण किया लेकिन राणा ने उसे बुरी तरह हरा कर भेजा।
राणा लाखा ने अनुकूल परिस्थिति के अनुसार अपने राज्य का भी विस्तार किया था। मेवाड़ की प्रजा राणा लाखा के राज्य में सुखी थी, और मेवाड़ राणा के राज में समृद्ध था, मेवाड़ का विकास चरम सीमा पर था।
राणा लाखा पराक्रमी योद्धा होने के साथ संगीतज्ञ भी थे, इनके दरबार में संगीतज्ञ भी उपस्थित रहते थे, उस समय के दो महान संगीतज्ञ धनेश्वर भट्ट व झोंटिग भट्ट मेवाड़ के दरबार की शोभा बढ़ाते थे।
अब बात करते हैं राणा लाखा के दूसरे विवाह के
मेवाड़ राज्य की सीमा से लगा एक राज्य था मारवाड़ , मारवाड़ में राठौड़ राजा राव चूड़ा का शासन था। इन्ही की पुत्री और राव रणमल की बहन हंसा कुंवर से राणा लाखा का विवाह हुआ। इस समय राणा लाखा वृद्ध हों चुके थे, और यह विवाह इस शर्त पर हुआ था कि मेवाड़ के अगले राजा कुंवर चु‌ण्डा  नहीं अपितु राणा लाखा और हंसा कुंवर का पुत्र बनेगा।
विवाह के 13 माह बाद हंसाकुंवर को एक पुत्र हुआ जिनका नाम था मोकल सिंह।
राणा लाखा की मृत्यु के बाद मोकल सिंह मेवाड़ के राणा बने।
राणा चूंड़ा  को संरक्षक नियुक्त किया गया।
राणा चूंडा बड़े बलशाली , पराक्रमी योद्धा थे और पितृभक्त भी।
इन्हे मेवाड़ के भीष्म पिता भी कहते हैं, इनकी गाथा हम अगले लेख पड़ेंगे।

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