महावीर अमर सिंह जी राठौड़ की अमर गाथा
उनकी वीरता, बहादुरी और युद्ध क्षमता के कारण वे पूरे देश में प्रसिद्ध थे। जो व्यक्ति सर्वगुण संपन्न होता है जिसमें कई सारी क्षमताएं होती है वो अपनी प्रतिभा के माध्यम से जन जन तक पहुंच ही जाता है । उसी प्रकार अमरसिंह जी राठौड़ से सभी प्रभावित थे । अमर सिंह जी स्वतंत्र विचारों वाले योद्धा थे। वे बड़े स्वाभिमानी थे, बुद्धिजीवी थे और जनता के प्रिय भी।
पिता की मृत्यु के बाद उन्हें ही राजा बनाया जाना था लेकिन बाद में उन्हें राजा न बनाकर उनके छोटे भाई को राजा बना दिया गया, जिससे अमर सिंह जी नाराज हो गए और मुगल बादशाह के यहां आगरा चले गए।
इस समय मुगल बादशाह था शाहजहां, और सभी मुगल बादशाह की एक ही रणनीति रही हैं राजपूतों को तोड़ो ,अतः अमर सिंह जी राठौड़ जैसे वीर योद्धा का उसके साथ आना उसके लिए किसी राज्य को जीतने जितनी ही खुशी के बात थी।
अमर सिंह जी राठौड़ की बहादुरी, वीरता और युद्ध क्षमता के परिणाम स्वरूप मुगल बादशाह ने उनका शाही सम्मान किया और नागोर का सूबेदार भी बनाया। नागौर एक जागीर था जहां का प्रशासन बादशाह चलाता था।
अमरसिंह जी राठौड़ की वीरता और साहस के फलस्वरूप दरबार में उनका कद बढ़ता जा रहा था, जिससे कई दरबारी जलने लगे थे। और वे अमरसिंह जी के विरुद्ध षड्यंत्र रचने लगें थे।
एक बार अमर सिंह जी राठौड़ शिकार के लिऐ गए जहां उन्हे 2-3 सप्ताह लग गए, जिसके कारण वह दरबार में भी उपस्थित नहीं हों पाए,।
अब यह उनसे जलने वालों के लिऐ अच्छा समय था , तो उन्होंने इसका लाभ उठाना चाह, एक दरबारी था सवालत खान जो राजकोष को संभालता था, वो भी अमर सिंह जी के बढ़ते मान सम्मान से दुःखी था, तो जब जैसे ही अमर सिंह जी दरबार में आए तो उनसे ऊंची आवाज में कहने लगा इतने दिनों से दरबार में क्यों नहीं आ रहे थे, कर भी नहीं दिया। अब अमर सिंह जी राठौड़ ठहरे स्वतंत्र विचारों वाले वीर योद्धा उन्हें सवालात खान का यूं पेश आना नहीं भाया।
अमरसिंह जी राठौड़ पराक्रमी वीर योद्धा कभी दबाव में वो रहते नहीं किसी का भी उन्हें भय नहीं और जब कोई उनसे ऊंची आवाज में कोई बात करे तो वो कैसे बर्दाश्त करेंगे।
फिर सवालात खान ने कहा कि अब दण्ड भरो, तो अमर सिंह जी ने अपनी तलवार की ओर इशारा किया कि अभी तो मेरे पास तलवार और म्यान ही है आओ और लेलो, जैसी ही सवालात खान , अमर सिंह जी के पास आया वैसे ही भरे दरबार में अमर सिंह जी ने अपनी तलवार म्यान से निकाली और सवालत खान के सीने के आर पार उतार दी यह दृश्य देख सभी दरबारी डर गए स्वयं शाहजहा नंगे पांव अपने कक्ष की तरफ भागने लगा, मुगल सैनिकों ने अमर सिंह जी को चारो ओर से घेर लिया लेकीन अमर सिंह जी अपने घोड़े पर सवार हुए एवम् घोड़ा किले की दीवार को लांघ गया और अमर सिंह जी नागौर पहुंच गए।
इस घटना से स्वयं शाहजहां भी भयभीत हो गया था, और शाहजंहा को अमर सिंह जी से खतरा महसूस होने लगा लेकीन वह जानता था कि सीधे युद्ध में वह अमर सिंह जी से जीत नहीं सकता, अतः उसने एक षड्यंत्र रचा और संधि के बहाने अमर सिंह जी को आगरा बुलवाया और पीछे से वार कर उन्हें मार दिया।
बाद में किले के पश्चिम द्वार पर अमर सिंह जी के घोड़े की प्रतिमा बनाई गई एवम किले के अकबर दरवाज़ा का नाम बदल कर अमर सिंह दरवाज़ा रखा गया।
तो ऐसे थे अमर सिंह जी राठौड़ जिनकी वीरता और साहस से दुश्मन भी प्रभावित थे और इसका प्रमाण हैं अमर सिंह दरवाज़ा , जिसका नाम अकबर के नाम पर था लेकिन फिर भी उसे बदल दिया।
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