महान राजपुत योद्धा महारथी कन्ह की अमर गाथा

महारथी कन्ह
हम भारत के लोग हमारी भारत भूमि के बहुत सारे शूरवीरो पराक्रमी यौद्धाओं के बारे में नहीं जानते हैं हमें इतिहास में ऐसे लोगों को पढ़ाया गया जो भारत के नहीं थे उन्होनें भारत को लूटने के उद्देश्य से भारत पर आक्रमण किया था किंतु आज उन्हें ही महान बताया जा रहा है। लेकिन इस ब्लॉग के जरिए आज हम भारत के शूरवीर और पराक्रमी योद्धा के बारे में जानेंगे जिनसे दुश्मन भी खौफ खाते थे  । ऐसे यौद्धाओं में एक का नाम है महारथी कन्ह । 
महारथी कन्ह, पृथ्वी राज चौहान के काका श्री थे । इस महारथी का ऐसा प्रण था कि यदि इनके सामने किसी ने अपनी मूंझो को ताव दिया तो ये उसे जीवित नहीं छोड़ेंगे। अर्थात् जिन्होंने ने महारथी कन्ह के सामने अकड़ दिखाई तो फिर उसके हाल ठीक नहीं होंगे। इस कारण महाराज पृथ्वी राज चौहान के पिता जी श्री  सोमेश्वर चौहन  के विशेष आग्रह पर महारथी कन्ह अपनी आंखों पर पट्टी बांध कर रखते थे। ताकि कोई महारथी कन्ह को दिखे ही नहीं ।
लेकिन घग्गर नदी के युद्ध में जब महारथी कन्ह जैसे पराक्रमी और शौर्यवान योद्धा की आवश्यकता जब महाराज पृथ्वी राज चौहान को पड़ी तो महाराज ने महारथी ने निवेदन किया कि वे अपनी प्रजा अपने राष्ट्र के हित के लिए व रक्षा के लिऐ अपनी आंख पर बंधी पट्टी को खोल दे । और युद्ध में भाग ले । तब महारथी कन्ह ने अपनी आंखो की पट्टी खोली और घग्गर नदी युद्ध में भाग लिया।
इसी युद्ध में जब गौरी के सेना नायक ने अपनी मूंझो पर ताव दिया तो  महारथी कन्ह ने उसे हाथी पर चढ़ने से पहले ही शीश से नख तक काट दिया और उसे दो भागों में विभाजित कर दिया। इस युद्ध में महारथी कन्ह ने गौरी सेना का विनाश कर दिया।
युद्ध में गोरी के सेनापति को महारथी कन्ह से पंगा लेना बड़ा महंगा पड़ा । 

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