महाराणा अमर सिंह जी का इतिहास


राणा अमर सिंह

राणा अमर सिंह जी भी अपने पिता महाराणा प्रताप सिंह की तरह वीर, साहसी और पराक्रमी थे।
अमर सिंह जी का बचपन जंगलों में ही बीता, उन्होंने घास पुस की रोटी खाई, अपने पिता के साथ कई कष्ट सहे, लेकिन अपनी मातृभूमि की रक्षा करते रहें।
दावेर के युद्ध में महाराणा अमर सिंह जी ने सुल्तनखान पर भाले का इतना तीर्व वार किया कि भाला सुल्तनखान के कवच को चीरते हुए उसकी छाती में घुस गया, सुल्तान खान ने मरने से पूर्व अमर सिंह जी के वार की उनकी वीरता की प्रशंसा की।
महाराणा प्रताप सिंह का स्वर्गवास हों जानें के बाद अमर सिंह जी मेवाड़ के राणा बने,।
इस समय राणा अमर सिंह जी चांवड में थे।
महाराणा अमर सिंह जी ने जीतने भी युद्ध किए उन सभी युद्ध में अमर सिंह जी को विजय मिली।
अमर सिंह जी, जहांगीर को युद्ध में 17बार पराजित किया था।
बाद में अमर सिंह जी और जहांगीर के मध्य एक संधि हुई, इस सन्धि का प्रस्ताव जहांगीर ने दिया था,, क्योंकि वह समझ गया था कि वह अमर सिंह जी को कभी परास्त नहीं कर सकता।

इस सन्धि से मेवाड़ के सम्मान को कोइ क्षति नहीं पहुंची और जो मेवाड़ मुगलों के पास था वो भी वापस आ गया, लेकिन फिर भी मुगलों से संधि करना उन्हें नहीं भाया, इस सन्धि का उनके मन पर बोझ रहा।

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट