महाराणा सांगा के अद्भुत साहस, शौर्य, और पराक्रम की अमर गाथा
महाराणा सांगा बहुत बलवान थे। उनके नाम से बाबर भी घबराता था।
महाराणा सांगा के शरीर पर 80 घाव थे, उसके बाद भी राणा ने युद्ध में कभी हार का सामना नहीं किया, हा एक युद्ध में बाबर, महाराणा सांगा पर भारी पड़ा लेकिन उस युद्ध में बाबर ने पहली बार तोप का उपयोग किया था, व महाराणा की सेना के पास तलवारे थी, इस युद्ध में महाराणा घायल हों gaye तो उनके सहायक उन्हें युद्ध क्षेत्र से दूर ले आए, परंतु जब राणा होश में आए तो उन्होंने , अपने सहायकों पर उन्हें युद्ध क्षेत्र से दूर ले जाने के कारण डांटा, क्योंकि महाराणा सांगा को युद्ध क्षेत्र में वीरगति प्राप्त करना स्वीकार था, परंतु किसी भी स्थिति में युद्ध से दूर जाना बिल्कुल भी नहीं।
महाराणा सांगा का जब जन्म हुआ तो एक ज्योतिषी ने उनके लिए भविष्य वाणी की कि वे अपने जीवन में बहुत यश, कीर्ति पायेंगे,। राणा बचपन से ही बहुत बुद्धिमान, बहादुर थे जिसके कारण सब उनसे जलते थे।
महाराणा की आंख बचपन खेलते खेलते उनके भाई ने फोड़ दीं थीं।
जब राणा युवा अवस्था में पहुंचे तो लोग उन्हें मारने के लिऐ षड्यंत्र रचने लगे, अतः राणा मेवाड़ को छोड़कर जम्मू कश्मीर चले गए।
एवम वहा के राजा के घोड़ों को संभालने लगे, यहां कि एक घटना है कि दोपहर के समय राणा एक पेड़ के नीचे आराम कर रहे तो एक सांप उनके शीश पास था और उनकी रक्षा कर रहा था, यह घटना कुछ लोगों ने देखी और वहां के राजा को इस बारे में जानकारी दी, तब राजा ने राणा सांगा के बारे में जानकारी प्राप्त की और पता किया कि वास्तव में यह महापुरुष है कोन, तब राजा को पता चला कि यह तो मेवाड़ के महाराणा सांगा है।
फिर इस तरह महाराणा मेवाड़ आए, अपना राज्य संभाला और अपनी ख्याति को दुर दुर तक फैलाया।
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